रविवार, 24 मई 2015

झीरम घाटी का नरसंहार


 25 मई 2013, दो साल पहले इसी दिन छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के झीरम घाटी में सबसे बड़ा नक्सली हमला हुआ था। चुनावी रैली के लिए जा रहे कांग्रेस नेताओं के काफिले को नक्सलियों ने घेर लिया था और ताबड़तोड़ गोलीबारी में कांग्रेस के 29 नेता मारे गए थे। सलवा जुडुम से जुड़े महेंद्र कर्मा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश पटेल समेत 29 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
 नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल और उनके बेटे को बहुत ही बेरहमी से मारा था । उनके नफरत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होने महेंद्र कर्मा के शरीर को चाकुओं और गोलियों से छलनी कर दिया था। नंद कुमार पटेल के बेटे दिनेश की खोपड़ी को तरबूज की तरह जगह-जगह से चीर दिया गया था। मैं छत्तीसगढ़ में 11 महीने तक रहा उस दौरान की ये वहां की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक थी। हमले के बाद छत्तीसगढ़ का माहौल काफी खराब हो गया था। हमारे न्यूज़ रूम से लेकर सड़कों तक ये चर्चा हो रही थी कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजीत जोगी ने कांग्रेस के नेताओं को मारवाया है। कुछ अख़बारों ने अजीत जोगी की तरफ इशारा करते हुए ख़बरें भी छापी थी हालांकि किसी ने भी किसी का नाम नहीं छापा था। उस दौरान एक चर्चा ये भी थी कि रमन सरकार अगले 24 घंटे में गिर जाएगी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा क्योंकि केंद्र में कांग्रेस की सरकार है। बहरहाल, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और थोड़े दिनों बाद बात आई-गई हो गई। नक्सली हमले में जवानों के मारे की ख़बरें सुनने वालों को पहली बार अपनों के मारे जाने पर ग़म ज़रुर था, लेकिन वहां के लोग अब इसके भी आदि हो गए हैं।

अब बात जांच की

देश में पहली बार नेताओं पर इतने बड़े नक्सली हमले से छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरा देश स्तब्ध था। राज्य की रमन सरकार ने बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय आयोग का गठन किया गया, जो अभी जांच कर ही रहा है । इधर, केंद्र की मनमोहन सरकार ने NIA को जांच सौंपा, शुरूआत में NIA ने बहुत तेजी से जांच की, हमारे संपादक महोदय से NIA ने करीब 2 घंटे से ज्यादा तक पूछताछ की और वीडियो फुटेज लिए, क्योंकि इस हमले की ख़बर सबसे पहले हमारे रिपोर्टर नरेश मिश्रा ने ही दी थी और वही एक मात्र ऐसा रिपोर्टर थे जो नक्सलियों की फायरिंग के बीच घटनास्थल पर पहुंचे थे। NIA की जांच चल ही रही थी कि फिर ये ख़बर उड़ी की अजीत जोगी का नाम हमले में आ रहा है, लेकिन कुछ दिनों बात ये भी ख़बर आई-गई हो गई, और आज तक NIA की जांच चल ही रही है। उम्मीद आगे भी चलती रहेगी।


इस घटना से जिस एक बात को लेकर मैं परेशान हुआ वो ये कि इतनी बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं की हत्या के बाद भी केंद्र ने ना ही नक्सलियों के खिलाफ कोई बड़ा अभियान चलाया, ना ही राज्य सरकार के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया और ना ही अपनी 'सशक्त' एजेंसियों से मामले की एक समय सीमा के भीतर जांच करवाई गई ।


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