गुरुवार, 12 जनवरी 2012

शोषण का अधिकार
वाकया 9 जनवरी का है । किसी काम से मुखर्जी नगर जाना हुआ चूंकि जिसके पास जाना था वह अपने रुम पर 6 बजे के लगभग आने को कहा था , लेकिन मैं 4 बजे ही पहुंच गया था । दो घंटे कैसे बीतते इसके बारे में विचार कर रहा था । अचानक से जीटीबी नगर मेट्रो स्टेशन के बगल में ही 15 बरस का एक लड़का सिविल सर्विस की तैयारी करने वाली किताबों को बेच रहा था । उसके पास अनेक पत्रिकाएं भी पड़ी हुई थी । अचानक से निगाह योजना नाम के एक पत्रिका पर गया । योजना का जो अंक मैने ख़रीदा वह 12 वीं पंचवर्षीय योजना पर अधारित था । पहले ही पेज में राष्ट्रीय विकास परिषद की 56 वीं बैठक में प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के भाषण के अंश को छापा गया था । पूरे भाषण को पढ़ रहा था जिसमे उन्होंने अपने अर्थशास्त्री ज्ञान का भरपूर प्रयोग किया था । अपने भाषण के अंत में मनमोहन सिंह कहते है "भविष्य वहीं होगा जो हम करके दिखाएंगें  भारत उठ भी सकता है तो भारत गिर भी सकता हैं "  तभी  अचानक से गालियों की आवाज़ सुनाई दी ..देखा तो कुछ  सात- आठ ऑटो चालक रिक्शे वालो के साथ मारपीट कर रहे थे । उन्हें गाली दे रहे थे ।और उनके रिक्शे के साथ तोड़ फोड़ कर रहे । सभी रिक्शे वाले अपने अपने रिक्शे लेकर भागने लगे ऐसे लग रहा था  जैसे कि कोई आंधी आई हो और रिक्शे हवा में उड़ रहे हो । क़रीब 7-8 ऑटो चालकों ने मिलकर  25 से ज्यादा रिक्शे वालो को  मिनट के अंदर खदेड़ दिया । देखने वाली बात ये थी की सैकड़ो की भीड़ थी कोई किसी को कहने वाला नहीं था ।  ऑटो वाले दादागिरी के साथ  रिक्शे वालो को गाली दे रहे थे ।  मारपीट कर रहे थे उन्हे  न क़ानून का डर सता रहा था न ही  इंसानियत नाम की कोई च़ीज दिखाई दे रही थी । दरअसल ऑटो वालो का यूनियन था रिक्शे वाले शरीर से कमज़ोर  तो थे ही उनमें यूनियन भी नहीं था । जिज्ञासा बढ़ी जानने की तो पता चला की  ऑटो वाले  रिक्शे वालो को ज़बर्दस्ती खदेड़ रहे थे । क्योंकि वे नहीं चाहते थे की रिक्शे वाले  यहां से सवारी बिठाए । और इस शहर में कुछ कमा सकें ।  ऐसा नहीं है कि इस तरह का वाकया मैंने कोई पहली बार देखा था लेकिन  वो घटना हृदया विदारक थी । उस दृश्य नें मुझे ये सोचने पर विवश  किया की आखिर इस देश में शोषण का अधिकार किसे है।  वैसे  तो कहने को सविंधान किसी को शोषण  का अधिकार नहीं देता लेकिन समाज में हर वर्ग हर तरह से सभी का  शोषण करने की कोशिश करता है । वैसे ये  बात केवल  रिक्शों और ऑटो चालको की नहीं है । आप किसी भी क्षेत्र में ये आसानी से देख  सकते है ।  हमारे समाज में  शोषण की परंम्परा सदियों से चली आ रही है। वैदिक  काल में  ही मानव को चार वर्गों में बांट दिया गया था । और यही परंपरा आज तक बनी हुई है । पर आज इसका  स्वरुप  बदला है  आज हम एक दूसरे का शोषण सिर्फ़ और सिर्फ़ आपने आप को ऊचा दिखाने के लिए करते है ।