मंगलवार, 12 अगस्त 2014

'आग' आज अपने घर में लगी

'आपके पड़ोसी पर अन्याय हो रहा है और आप चुप हैं तो कल आपके उपर भी अन्याय होगा' शिवखेड़ा की ये लाइने दिल्ली में अक्सर ऑटो के पीछे पढ़ने को मिल जाती हैं। आज अन्याय मेरे साथ भी हुआ। दिल्ली ट्रांजिट की बस में स्कूल की वर्दी में सवार कुछ चोरों ने मेरा मोबाइल फोन चुरा लिया । जब मुझे इसका पता तो मेरे पास पछताने के सिवाय कुछ नहीं था...मैं एक जगह खड़ा होकर दूर तक उस बस निहारता रहा...लेकिन अफसोस के सिवाय कुछ कर नहीं सकता। प्रयास किया कि उस बस तक पहुंच जाऊ, इसके लिए एक ईको गाड़ी को हाथ दिया उसने गाड़ी स्लो.. किया मैं उससे अपनी समस्या सुनाई और बस तक छोड़ने को कहा...लेकिन वो नहीं छोड़ा..और चल दिया। खैर, रोज मैं बदरपुर से बस में सवार होकर नोएडा आता हूं, कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरा जब बस में किसी न किसी यात्री का मोबाइल, पर्स चोरी न होता हो। स्कूल की वर्दी छोटे-छोटे बच्चे बस में सवार होते हैं, और लोगों के जेब काटते हैं। चूंकि वो स्कूल की वर्दी में होते हैं इसीलिए लोग शक भी नहीं करते और उनकी जेब कट जाती है। कल भी मेरे जैसे एक लड़के का काफी महंगा मोबाइल चोरी हो गया था। पिछले आठ साल से दिल्ली में रहता हूं, ये तीसरी बार है जब मेरा फोन चोरी हुआ है। इससे पहले जब भी चोरी हुआ तब चोरी करने वाले उम्र में कुछ बड़े चोर होते थे। लेकिन मैं पिछले एक साल से देख रहा हूं बस में पॉकेटमारी के ट्रेंड में बदलाव आया है, अब बसों में ज्यादा उम्र के युवक चोरी करते हुए नहीं दिखते, अब स्कूल की वर्दी में सवार छोटे-छोटे बच्चे झुंड बनाकर बसों में चढ़ते हैं और पॉकेट काटते हैं। चूंकि ज्यादा वास्ता बदरपुर रूट से होता है, तो मैं प्रतिदिन ये देखता हूं । यहां स्कूल की स्टैंड से बच्चे बस में सावर होते हैं...और किसी न किसी को अपना शिकार बनाकर अगले दो-तीन स्टैंड बाद उतर जाते हैं।मेरे दो मित्र इन स्कूल में अध्यापक हैं, वो बतातें हैं कि स्कूल की छतों पर दर्जनों खाली पर्स पड़े है, इसके अलावा बीयर,शराब की बोतले भी पड़ी रहती हैं। ये बच्चे स्कूल के भीतर नशा भी करते हैं। मेरे मित्र ने मुझे ये भी बताया कि ये बच्चे स्कूल के अंदर ही कई तरह के अनैतिक काम भी करते है। इनके चोरी करने का चाहे जो भी कारण हो, लेकिन पहली नजर में शौक पूरा से ज्यादा मुझे कुछ नहीं दिखता। अंत में भगवान इन्हे सद्बुद्धि दें..