समाज और
प्रशासन के बारे में मैक्स
वेबर के विचार
प्रस्तावनाः-
मानव जाति के एक
संगठन के रुप में ऐतिहासिक
काल से ही समाज ने सामाजिक
व्यवस्था बनाए रखने के हित
में और संघर्षो व विवादों को
हल करने के लिए खुद को नियम व
क़ानूनों का निर्माण किया
है। चूंकि सरकार जिसका काम
भी क़ानून बनाना है इस दृष्टि
से सरकार औऱ समाज एकरुप है ।
समाज व्यक्तियों के ऐसे समूह
को व्यक्त करता है जो इच्छानुसार
विकसीत किए गए सिद्धांतो एंव
नियमों से जुड़े होते है । और
कम से कम या ज्यादा व्यवस्थित
सामूहिक जीवन जीते है । सामाजिक
विकास कि प्रक्रिया में राज्य
एक संस्था के रुप में निर्मित
होता है, और राज्य
के पास बल प्रयोग की
शक्ति होती है । राज्य सभी तरह
के सामाजिक संस्थाओं को औपचारिक
क़ानूनों , नियमों
एंव व्यस्थाओं द्वारा नियंत्रित
करता है । सरकार की क्रियाशीलता
ही लोक प्रशासन है। सरकार क्या
करती है या क्या नहीं करती है
इसके द्वारा समाज प्रभावित
होता है व इसको प्रभावित करता
है । मैक्स बेवर उन कुछ एक
विद्वानों में से है जिसने
समाज औऱ प्रशासन के संबंधों
को अधिक नज़दीक से जानने के
लिए प्राचीन इतिहास से लेकर
आधुनिक आर्थिक समाज का गहन
अध्ययन किया , और
उसने पाया किया की नौकरशाही
तभी तक विद्यमान है जब तक पूंजीं
कि एक स्थिर आय बनी हुई है।
वेबर के शब्दों में "कर
निर्धारण की एक स्थायी व्यवस्था
नौकरशाही प्रशासन के स्थाई
रुप से विद्मान रहने की पूर्व
शर्त है ।
लोक
प्रशासन व समाज:-
सामाजिक
परिवर्तन व प्रगति ऐसी परिस्थियों
का निर्माण करती है,
जोकि
सामूहिक क्रिया को प्रोत्साहन
या लोक प्रशासनिक संस्थाओं
द्वारा सरकारी बाध्यता को
प्रोत्साहन देती है । राजनितिक
शास्त्र के इतिहास में सामाजिक
समझौते का सिद्धान्त एक चिरसम्मत
सिद्धान्त रहा है । तीन महान
दार्शनिकों हाब्स,
लॉक,
व
रुसो ने इस सिद्धान्त का
प्रतिपादन किया ।
प्राकृतिक अवस्था के
निरंतर संघर्ष को दूर करने
के लिए राजनितिक समाज की स्थापना
की गई । और सामान्य सामाजिक
संस्था के रुप में राज्य और
सरकार का जन्म हुआ । सामाजिक
समझौते के तहत समाज का प्रत्येक
सदस्य अपने कुछ अधिकार या
समस्त अधिकारों को समाज को
सौंप देता,
और
समाज सर्वोच्च बन जाता है ।
वस्तुत:
यह
समझौता प्रत्येक व्यक्ति
दूसरे व्यक्ति से करता है ।
इस प्रकार राज्य और समाज के
बीच विकसीत होने वाले संबंधों
में अपने सामूहिक स्वरुप में
प्रत्येक व्यक्ति को समष्टि
के अविभाज्य अंग के रुप में
स्वीकार करते है । लोक प्रशासन
के क्षेत्र के विस्तार ने
राज्य और समाज के बीच विकसीत
होने वाले स्वरुप के ऐतिहासिक
रुप से प्रभावित किया है ।
ड्वाइटो
वाल्डो (
DWIGHT WALDO) के
अनुसार लोक प्रशासन ही सरकार
का मुख्य साधन है जिसकी सहायता
से सामाजिक समस्याओं सामाधान
किया जाता है । पश्चिमी देशों
में नई सामाजिक समस्याओं जैसे
, शहरीकरण
, वृक्षों
की सुरक्षा ,
सामाजिक
कल्याण आदि का समाधान लोक
प्रशासन द्वारा किया जा रहा
है । भारत जैसे विकासशील देशों
में भी राज्य लोक प्रशासन के
माध्यम से सामाजिक समस्याओं
को दूर करने में लगा है,
ताकि
सामाजिक आर्थिक विकास सुनिश्चित
किया जा सके । आरंम्भ के राज्य
ग्रामीण विकास ,
सामाजिक
औद्योगिक विकास एंव शोषक स्तर
के सुधार के जैसे कार्यों को
संपादित करते थे लेकिन वर्तमान
में लोक प्रशासन इसकी ज़िम्मेदारी
उठा रहा है । समय के साथ-साथ
सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया
नित नई चुनौतियों को जन्म देती
है । और इस चुनौतियों के समाधान
के परिप्रेक्ष्य में लोक
प्रशासन का अध्ययन क्षेत्र
निरंतर व्यापक होता जा रहा
हैं । पर्यावरण प्रदूषण,
पारिस्थितकी
संतुलन,
जल
संरक्षण,
जैव
विविधता जैसी अंतराष्ट्रीय
समस्याओं के समाधान के लिए
लोक प्रशासन प्रयत्नशील दिखाई
दे रहा है ।
एक
अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा
लोकप्रशासन में जेन्डर या
स्त्री पुरुष विश्लेषण का
है। कार्यो में महिला सहभागिता
में लगातार प्रत्येक वर्ष
वृद्धि होती जा रही हैं,
जोकि
कल्याणकारी व पारितोष
(COMPENSATION)
संबंधी
नीतियों,
व
अन्य संबंधित मुद्दों उदाहरण
के लिए,
कार्य
स्थल पर महिलाओं कि सुरक्षा
आदि के संन्दर्भ में प्रशासनिक
सुधार की मांग कर रहे है। इसी
प्रकार अनेक मुद्दे जैसे बाल
श्रम,
अस्पृश्यता,
बंधुआ
मज़दूरी,
व
अन्य घृणित सामाजिक व्यवहार
आदि को रोकना व निवारण करना,
ये
सभी प्रशासनिक पहल को मांग
कर रहे है। विशेष रुप से विकासशील
देशों में इसी के परिणाम स्वरुप
इन देशों में लोक प्रशासन का
क्षेत्र बहुत ही व्यापक हो
गया है ।
समाज
और प्रशासन के बीच संबंधों
पर मैक्स वेबर के विचार:-
नौकरशाही
पर मैक्स वेबर के विचार ऐतिहासिक
और सामाजिक सिद्धान्त के वृहत
दृष्टिककोण के एक महत्वपूर्ण
अंग का सृजन करते है । वेबर ने
आधुनिक राज्यों में नौकरशाही
के उदय के मूल कारणों को जानने
के लिए वेबर ने प्राचीन इतिहास
का गहन अध्ययन किया उसने पाया
की विशाल रोमन साम्राज्य को
छोड़कर रोम में कोई भी औपनिवेशिक
अधिकारी नहीं था। जूलियस सीजर
ने स्थाई सिविल सेवा स्थापित
करने का प्रयास किया था लेकिन
सफलता नहीं मिली । लेकिन
नौकरशाही का पूर्व विकसीत
रुप " डिओलिशिएन
" के
शासन काल में दिखाई दिया ।
नौकरशाही के उदय और विकास ने
रोमन साम्राज्य का पतन कर दिया
इसका मुख्य कारण नौकरशाही
में फैलता हुआ भ्रष्टाचार था
। नौकरशाही ने शासकों पर अधिकार
जमा लिया । और नागरिकों कि
स्वतंत्रता के अधिकार पर भी
शासन स्थापित कर लिया। विशाल
प्रशासनिक तंत्र को सुचारु
रुप से चलाने के लिए विशेष
करों को अनिवार्य रुप से लागू
किया । वेबर को इस बात का ज्ञान
हुआ कि नौकरशाही तभी चल सकती
है जब एक विकसीत पूंजीवादी
अर्थव्यवस्था मौजूद है । वेबर
के अनुसार ,
जहां तक
अधिकारों की आर्थिक क्षतुपूर्ति
की संभंध है पूंजीवादी
अर्थव्यवस्था का विकास नौकरशाही
की पूर्व शर्त है ।