रविवार, 7 अक्तूबर 2012

इंतजाम हो गया है...

सर नीचे लटकाए , कभी इधर उधर देखते आगे चले जा रहे है। मेन गेट से एंट्री करने के बाद थोड़ा दाएं मुड़े, फिर सीधे उस कमरे में चले गए। मैंन दूसरी बार और महेश पहली बार जामिया में परीक्षा देने गए थे। करीब दो घंटे का पेपर था। ज्योग्राफी का एमए का पेपर था। दिल्ली विश्वविद्यालय से भी ज्योग्राफी में ही बीए ऑनर्स किया था। वैसे परीक्षा तो दे दिए, पर दिल से कहे तो पढ़ने का मन था नहीं। इसलिए भी नहीं की प्रतिदिन अगले दिन के बारे में सोचना पड़ता था। अब ज्यादा पीछे की बात करना नहीं चाहता। परीक्षा खत्म होने के बाद मैं और मेरा दोस्त महेश, ऊर्दू विभाग के पीछे बने एक चबूतरे पर बैठ गए। महेश कहता है, यार तेरा जर्नलिज्म में हो गया तो तू एडमिशन ले लेना। मैंने कहा कि यार देखते है । फिर कहता है कि कोई दिक्कत है तो बता। मैंने कहा ननन नहीं, कोई दिक्कत नहीं है। फिर महेश कहता है देख एक साल का कोर्स है कि एमए से तो बढ़िया है। कम से कम जर्नलिज्म करने के बाद तूझे जॉब तो मिल जाएगी। तेरा खर्चा तो निकल जाएगा। मै सब बड़े ध्यान से सुन रहा था। पर कुछ बोल नहीं रहा था। फिर मेरी तरफ देखते हुए कहता है बता कोई दिक्कत है तो। फिर मैंने कहा नननन नहीं है। थोड़ी देर बाद मैंने कहा  यार देख, तीस हजार के करीब फीस है, इतनी व्यवस्था हो नहीं पाएगी, और रही बात इतने पैसों की,,, तो मेरे घर में इतना पैसा एक बार में 1997 के बाद से आया ही नहीं। सोचता हूं इस साल कॉल सेंटर में नौकरी कर लूं, कुछ पैसे इक्कठे करके अगले साल आईआईएमसी में एडमिशन ले लूंगा। मैने कहा। महेश ने सर पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा कितने पैसे कमा लेगा तूं कॉल सेंटर से। एक साल नौकरी करेगा तो कितने पैसे मिलेंगे तूझे, करीब वहीं पचास - पचपन हजार। फिर रूम का खर्चा है अपना खर्चा, दस हजार भी नहीं बचेंगे। और आईआईएमसी में एडमिशन के लिए साठ सत्तर हजार रूपए चाहिए। देख तू ऐ सब फालतू के कामों में मत पड़। कुछ व्यवस्था करते है तो तू जामिया में एडमिशन ले लेना। दरअसल मैंने अपने दोस्त अभिमन्यु के साथ जामिया में जर्नलिज्म का प्रवेश परीक्षा दिया था। और एडमिशन लेने का ख्वाब अभी परीक्षा परिणाम आने से पहले ही हम दोनों देख रहे थे। एडमिशन को लेकर दुनिया भर का रणनीति बना रहे थे। कि ऐसे पैसे का इंतजाम करेंगे वैसे करेंगे।
तीस जून को रिजल्ट भी आ गया। मै तो पास हो गया। मेरा दोस्त अभिमन्यू को वेटिंग लिस्ट में नाम आ गया। बड़ी दुविधा में फंस गए हम। मेरा तो वैसे ही जनर्लिज्म करने का मन नही  था। मैने अभिमन्यू को कहा यार ऐसा कर मै अपना एडमिशन केंसल करा लूंगा और तू एडमिशन ले ले। उसका वेटिंग लिस्ट में पहला नाम था। फिर वो कहने लगा नहीं तू पढ़ेगा तभी मै पढूंगा।फिर महेश का फोन आया। क्या रहा रिजल्ट का , महेश मुझसे पूछा। मैने कहा पास तो गया पर या पढ़ना नहीं है मुझे। अबे साले बेवकूफ है क्या। महेश ने मुझे कहा। यार नहीं पर पैसे का इंतजाम नहीं हो सकता। कितनी फीस है, महेश ने मुझसे पूछा। मैने कहा यार करीब अठ्ठाइस हजार तो लग ही जाएंगें। ऐसा कर कुछ तू व्यवस्था कर और करीब बीस हजार की व्यवस्था करने की कोशिश मै करता हूं। महेश ने मुझसे कहा। फिर मैंने एक दिन बाद घर फोन किया। सीधे तो पापा से  नहीं कह सकता कि एडमिशन के लिए दस-बारह हजार रुपयों की जरूरत है। क्योंकि घर की परिस्थिति समझता हूं। तोड़ा इधर उधर की बात की , फिर कहा कि पापा वो जो जामिया का एक एग्जाम दिया था न वो ...मैंने पास कर लिया है। पापा ने कहा बहुत अच्छा । किस चीज का एग्जाम था, पापा ने मुझसे पूछा। मैंने कहा पापा वो पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए परीक्षा दिया था। क्या होगा इससे, पापा ने मुझसे पूछा। पापा इसे पढ़कर किसी टीवी चैनल या समाचार पत्र में नौकरी कर सकते है। मैंने पापा से कहा। तो बताओं पैसा वैइसा भी लगेगा का , पापा ने मुझसे पूछा। मैंने कहा पापा वो ...क्या है कि फीस तो ज्यादा है पर वो जेएनयू वाला मेरा दोस्त है न महेश ...वो... बीस हजार रूपए देने को कह रहा है। कह रहा  है कि और कि कुछ तू इक्कठा कर ले। पापा ने फिर पूछा कितने रूपयों की जरुरत होगी , मैंने कहा पापा कम से कम दस हजार तो चाहिए ही। यार अभी है तो नहीं पर देखता हूं, पापा ने कहा। तीन दिन बाद पापा का फोन आया, बारह हजार का इंतजाम हो गया है भेज दूं या और चाहिए,  पापा ने मुझसे पूछा । मैने कहा नहीं बस हो जाएगा। दो दिन बाद उन्होंने पंद्रह हजार रूपए मेरे एकाउंट में डाल दिए।  सात जुलाई को जामिया में एडमिशन होना था। पांच को महेश का फोन आया यार पंद्रह हजार का इंतजाम हो पाया है । काम चल जाएगा। मैने कहा चल जाएगा। देखता हूं कल और इंतजाम कर देता हूं कम से कम अठ्ठारह तो कर ही देता हूं। महेश ने कहा।  6 तारीख को शाम को महेश का फोन आया , कहां है  महेश ने मुझसे पूछा , घर पर ही हूं मैंने कहा। ऐसा कर मेरे घर पर आ जा कल एडमिशन के लिए यहीं से जामिया चला जाइओं। मैने अठ्ठारह हजार का इंतजाम कर दिया है।